वो घर से यूँ ही नहीं निकला वज़ह कोई तो होगी थोड़ा सा आटा बचा होगा मगर दाल नहीं होगी पहुँचा नहीं अभी तक जिसे तुम राशन कहते हो ए-मेरे सरकार तुमसे गरीब की सम्भाल नहीं होगी मैंने तो नहीं देखे निर्धन के घर में अन्न के भण्डार वो यूँ ही मर जाएंगे अगर देखभाल नहीं होगी भले ही निकलती होगी किसी घर में तेल की पूरियां मगर बुरी क़िस्मत अपनी भी हर-साल नहीं होगी चंद घंटों में घर पहुँच जाते हैं अधिकारियों के बच्चे कहीं फँसा है किसान का बेटा तो पड़ताल नहीं होगी इस दहलीज़ पर कोई नहीं आया भूखों की परवाह करने बेनाम उनका कहना है बाहर आए तो बदन पर खाल नहीं होगी
अगर एक दीये में 10 ग्राम तेल आता है और आज एक घर में कम से कम 2 या 4 दीये जलाए जाएँगे तो आप खुद समझ सकते हैं 40 अरब दियों के तेल से कितने भूखे भारतीयों के लिए भोजन बन सकता है क्यूँ ना उसी तेल से कुछ भूखे पेटों को राहत दी जाए हाँ एक बात और इसमें कुछ मेरे ऐसे भी देशवासी होंगे जो एक घर में 5-5 और 10-10 दिये भी जलाएंगे उन किसानों का आपसे निवेदन है जिन्होंने सरसों और तिल की खेती में दिन-रात पसीना बहाया है ज्यादा से ज्यादा मोमबत्ती और मोबाइल फ्लेश लाईट का उपयोग करें मैं किसी भी राजनीति से नहीं हूँ मैं एक भारतीय होने के नाते दिल की बात कह बैठा जय हिन्द 🙏🏾