"मुलाकात चाय पर"
सोच रहा हूँ अब किसी रोज उनको चाय पर बुलाया जाय ,
सुनूँ मैं उनको जी भर के , कुछ अपना हाल सुनाया जाय।
सुना है बड़े कमाल का हुनर है उनकी खूबसूरत हाथों में,
बात बने अगर उन्हीं के हाथों का,मुझे चाय दिलाया जाय।
गज़ब की महकती होगी प्याली छूकर उनके सुर्ख होंठो को,
ज़िद है उनकी जूठी प्याली में ,खुद को जाम पिलाया जाय।
बहुत उलझन सी होती है मुझे जब भी कोई और देखे उन्हें,
कुछ गीले शिकवे हों अगर,सब मुस्कराहटों में बताया जाय।
दिल करता है जी भर के देखूँ उन्हें छुपकर किसी कोने से,
सामने जो आएं तो ,झुकी नज़र से बेइंतहा सरमाया जाय।
कैसे खोलें हम दिल के राज उन्हें खोने का डर सा लगता है,
हिम्मत दे ऐ खुदा मुझे ,बगैर कुछ बोले प्यार जताया जाय।
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