ना जाने क्या हो जाता है मुझे? किताबे खुली छोड़ तेरे खयालों में खो जाती हूँ। मन में तेरे साथ बिताए पल बुनने लग जाती हूँ। कभी हंसती हूँ तो कभी मुस्कुराते हुए रो जाती हूँ। तू मुझसे दूर है यह बात इस दिल को ना समझा पाती हूँ।
ना जाने क्या हो जाता है मुझे? दर्द भरे गाने गुनगुनाने लग जाती हूँ। उठते जागते तेरी सूरत दूसरों में देख जाती हूँ। इसी दिल में छुपा के तुझे रख लेना चाहती हूँ। अब यह अधूरी प्रेम कहानी किसी ओर को ना सुनाना चाहती हूँ।
ना जाने क्या हो जाता है मुझे? तू मेरा है यह जज्बात इन लफ्जों से लिख जाती हूँ। हर वक्त तुझसे मिलने की आस लगाए बैठ जाती हूँ। कुछ भी करूं ना जाने क्यों तुझ तक पहुंच जाती हूं? इसलिए आज के बाद लिखना बंद कर देना चाहती हूँ।