तिनका - तिनका जोड़ कितना मेहनत करके रहने के लिए घोंसला बनाया था हमने,
अपने बच्चे को जन्म देने के लिए अंडा छिपाकर रखा था हमने,
तुम आए और गुलेल से निशाना लगा एक पल में हमारा घर तोड़ दिए,
मेरे बच्चों को मार दिया, हमारा घर सुना कर दिया,
खुद को इंसान कहते फिरते ,
भगवान ने क्या तुम्हें दूसरों का घर उजाड़ने के लिए इस धरती पर भेज दिया?
अरे नहीं बसा सकते तुम घर किसी का,
तो तोड़ने का हक़ किसने दिया तुम्हें?
इंसानियत अगर मर गई है तेरे अन्दर की ,
तो कोई हक़ नहीं है तुम्हारा इंसान के वेश में रहने का।
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