नहीं जानती मैं,
पृथ्वी का अंत कैसे होगा
परमाणु हथियारों से,
जलवायु परिवर्तन से,
या फिर जल-प्रलय से,
लेकिन इतना पता है मुझे
उस दिन समाप्त हो जाएगी पृथ्वी;
जिस दिन कवियों ने
लिखना बंद कर दिया,
या फिर उस दिन
जिस दिन सूख जाएगी
स्याही संवेदना की,
इसलिए लिखना जरूरी है
ताकि जीवित रह सके
पूरी मानवीय सभ्यता।
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