कुछ पल थे मस्ती के, कुछ यादगार किसी हस्ती के ।
कुछ घर की याद में गुजरे थे , कुछ आंसु बारिश की बूंदों से बिखरे थे।
कुछ रातों में देर तक कि पढाई थी, कुछ रातें चैन से सो कर भी बिताई थी ।
याद हर यार का याराना रहेगा, याद आपस में दोस्तों का मजाक उड़ाना रहेगा।
याद वो पनीर में रोटी चूर कर खाना रहेगा , याद समय पर साइन न होने पर मैडम की डांट सुनना रहेगा।
याद सर्दियों में ठंडे पानी से नहाना रहेगा, याद कभी कभी काम पूरा न होने पर कोपी हाउस में भूल जाने का बहाना रहेगा।
यही सिलसिला हर रोज चलता गया और देखते ही देखते एक साल बीत गया।
नवोदय का जीवन बहुत सख्त है, पर अभी तो हुआ बस थोड़ा सा ही वक़्त है।
कुछ कर दिखाने की ज़िद पर अड़ा है,मेरा दिल भी मेरी ही तरह कमबख्त है।
अब तो जिंदगी जीने का एक नया सलिका सीख लिया, नवोदय के बहाने ही सही , आज मैंने कुछ लिख लिया।
बहुत कम समय में मैंने प्यार सबसे जीत लिया, और देखते ही देखते एक साल बीत गया।
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