बीते सालों में कुछ हाल बदल सा गया है मेरे शहर का,
वो सड़के बदल गईं,
उन सड़कों के किनारे दुकान बदल गए,
उन दुकानों के बीच मकान बदल गए,
सब चेहरे बदल गए,
वो शाम वाले पहरे बदल गए,
लोगों का आना-जाना बदल गया,
मिलना- मिलाना बदल गया,
बस नही बदला तो,
ट्रेन से उतर रिक्शे पर बैठ सब बदले बदले नज़ारे देखते,
वो अपने स्कूल से निकलते छोटे बच्चों में अपने बचपन का चेहरा देखते,
वो चाय की टपरी पे बैठे लोगों में अपने दोस्त ढूंढ़ते,
वो खेल के मैदान में बदले हुए खिलाड़ी देखते,
नहीं बदली वो स्टेशन से घर तक पंहुचने की ख़ुशी!
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