कभी कैनवस पर उतारी गई कभी कसीदों में सँवारी गई नजरें भर भरकर हम देखे जाने लगे करारे तंज व फिकरे कसे जाने लगे गलियों में आवारगी बहकने लगे व हम बंद शिकंजों में भी बदनाम होने लगे परिधान को पैमाने पर मापे जाने लगे तरजीह व हया के तकनीक सीखाए जाने लगे
आईने को फक्र हुआ हमपर व हमें गुरूर हुआ खुद पर मुस्कुराहट हद से बिखरने लगे तो सुर्ख होंठो पर भी कई सवालात किए जाने लगे क्योंकि ....
बहोत तहज़ीब सिखाती है, ये "मोहब्बत", किसी को 'हुकुम' तो, किसी को गुलाम बना देती है। ख़ैर इश्क़ का दर्द तो सब जानते है, फिर भी ये किसी को 'तन्हा', तो किसी को मरहम बना देती है।
खूबसूरत पल कुछ ओर खूबसूरत बन जाता है, होती बातों में मेरे "हम्म...." कहने पर जब ज़वाब में उसका प्यार से "हाँ..." सुनने को मिल जाता है, लगे बिन छूए... वो मेरे गले से लग जाता है, फिर पल कैसा भी हो एक "सुकून" में बदल जाता हैं...!