अर्ज़ क्या है,
है तूफानी सी रात,
हाथो मे बंदूक से भारी मेरी किताब,
कोई बताये तो exam बनाने वाले का नाम,
पीट पीट कर उसकी हालत करनी है खराब,
कर देंगे अपन उसकी हालत खस्ता,
जिसने हम जैसे मासूम बच्चो का,
भारी कर रखा है बस्ता,
जहा सस्ती कोई चीज़ नही,
वहा दिमाग बना पड़ा है खाद्दान्न,
अब बचाओ तो भगवान जी हम बच्चो के प्राण।
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