मुस्कुराता चेहरा और आँखों मे इकरार लिए बैठा हूँ ,,
जिन रास्तो में उनकी नजरे पड़ती है ,, उन रास्तो में इन्तेजार लिए बैठा हूँ ,,
ख्वाबो से उनकी निगाहे जो छुट्टियां लेती है ,, वो इतवार लिए बैठा हूँ ।।
इश्क़ पता नही मुझे ,, पर आशिकी वाला वो खुमार लिए बैठा हूँ ,,
गुजरा करती है जो फिजाओ में उनकी खुसबू ,,
वो खुसबू बेसुमार लिए बैठा हूँ ।।
और जब थक जाता हूं खुद से ,,
तो याद कर कुछ पलों को खुशियां बेकरार लिए बैठा हूँ,
नही पता किस जल्दबाजी में है जमाना ,,
जिंदगी और रिस्तो की ,,
मैं तो वो खाली वाला ही सही पर ऐतबार लिए बैठा हूँ ,,
अकेला ही भटकता हु मैं सहर में ,,
पर कुछ "संगम" सा संसार लिए बैठा हूँ ।।
और बैठा है हुजूम साकी बन जाने को जहाँ ,,
वहाँ मैं तो पहले से ही शराब लिए बैठा हूँ ,,।।।
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