मेरे बाद तुझे बारिशों का मौसम कैसे भाता होगा
वो तेरे गीलें बालो को आखिर कौन सुखाता होगा
ना जाने क्यूँ हर वक़्त मैं, बस यही सोचता रहता हूॅं
उसे शायरी तो नहीं आती, वो तुझे कैसे रिझाता होगा
जानता हूॅं, दरिया है तू, मेरे कहने से भला क्यूॅं रूकेगा
तेरा रुतबा ऊॅंचा है, तू तो समंदर से हाथ मिलाता होगा
जब भी जिद्द करते होंगे बच्चे, राजा-रानी की कहानी को
हमारी ही मोहब्बत वो किरदार बदल-बदल के सुनाता होगा
अब शाने पे सर रख सोने की आदत तो नहीं रही होगी
वो बादल बिछाता होगा, कमरा कहकशाॅं से सजाता होगा
कब से उसकी आस में नज़रें बाम पर टिकाए हो 'नकुल'
वो चाॅंद है उसका क्या, किसी और छत पर उतर जाता होगा
~ Nakul
-