QUOTES ON #HINDILOVE

#hindilove quotes

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प्रेम तपस्या भाव में हो तो अति उत्तम
करुणा से रूंधे गले से बात करने पर
स्वत: ही उनके मनोभाव प्रबल होकर
अतिशीघ्र उदासीनता में विलीन हो गए
नेत्रों के समक्ष उक्त छवि विराजमान हुई
प्राणों को अथाह प्रयास संरक्षित किया
अन्यथा देह त्याग की पीणा से परिचित
हृदय कम्पन्न तीव्र गति समाप्त हो जाती
छवि के होंठ स्वप्न रूपी लालिमा मयी
किसी विकराल दानव रक्त भोगी समान
नेत्र मानों नेत्रहीन को प्रकाशित कर दें
वक्ष तन मन प्राण समस्त हरने को आतुर
दिव्य शक्ति आकर्षण को निहित किए
एक कठोरतम हृदय के वशीभूत नारी
स्वयं पर मनमुग्ध नर की परीक्षा हेतू
मेघों में निरंतर योवन दर्शन से लालायित कर
उसकी तपस्या से मोहभंग कर देती है
तत्पश्चात वो व्याकुल हो स्वप्न से जाग्रत हो
उसे समीप न पाकर वैराग्य में चला जाता है।

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झाँक मैंने महसूस किया कि हम दो जिंदगियाँ जी रहे हैं...एक वो जो दुनिया देख रही है, घूमना,हँसना,खाना,पहनना...और एक वो जो हम रोज
सह रहे हैं !

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2 AUG 2021 AT 9:26

दूसरा मौका सिर्फ कहानियाँ देती हैं ।
ज़िन्दगी नहीं ।।

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13 SEP 2020 AT 8:55

हिंदी है कीर्ति
हिंदी है गौरव
हिंदी ही आदर्श स्वरुप है!!

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6 MAR 2020 AT 10:06

चलो कुछ किस्से खत्म किए जाए
कुछ याद बचे हैं थोडे बहुत ही
उन यादो पर कम सितम किए जाए
चलो कुछ किस्से खत्म किए जाए

रह गए हैं कुछ ख्वाब अधुरे
कुछ बाते अधुरी
उनको पुरी करने की कोशिश कम किए जाए
चलो कुछ किस्से खत्म किए जाए

देखा हमने साथ चलकर राह फिर भी अलग थे
साथ वाली बात छोड देते हैं
अब खुद पर कोई रहम किए जाए
चलो कुछ किस्से खत्म किए जाए

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25 SEP 2019 AT 14:44

'नन्हा बचपन'

मेमसाब के जाते ही संभालने लगती है उसके बच्चे को,
ना जाने वो खुद इतनी बड़ी कब हो चली है ।
खाते देख उसे (बच्चे को) काजू-पिस्ता, मन तो उसका भी ललचाता है,
पर घर में बीमार माँ का बिस्तर सीने में तैर जाता है।
पढ़ना-लिखना तो उसे भी भाता है पर, जिम्मेदारी तले ये शौक भी दब जाता है।
बर्तन, झाडू हो या कपड़े, हर काम वो कर लेती है,
अपनी आँखों के कोनों से, झरोखे भी तो रोक लेती है।
छोटी-छोटी गलतियों पर अब उसे रोना नहीं आता है, मेमसाब के डाँटने पर मुँह बनाना कहाँ आता है।
कभी झूठन से, कभी बेगार से पेट भरते देखा है,
खिलौने छोड़, लोगों को पानी पिलाते देखा है,
हाँ, मैंने एक बचपन को यूँ मरते देखा है।।
गिनती पूरी आती नहीं पर, हिसाब बराबर कर लेती है।
पाई-पाई जोड़ कर ही तो, छोटे भाई को टाॅफ़ी दिला पाती है।
कभी मेस में डिब्बे रखते, जीभ तो अक्सर ललचाती है लेकिन, 'दो दिन'और सोच उसकी चाल कहाँ रुक पाती है।
तड़कती धूप में, गुड़गुड़ाती भूख में, एक बचपन तपते देखा है, उसको तिल-तिल तड़पते देखा है।
अपनी स्याही से मैंने ऐसा बचपन उकरते देखा है ,
हाँ, मैंने एक बचपन ऐसा भी देखा है।।।

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12 SEP 2021 AT 12:07

कुछ लिखने बैठो तो अल्फाज़ यूं निकलती हैं
जैसे समंदर की लहरे किनारे चूमती हैं

न जाने किसने ऐतबार किया उन आंखों का
जो इस दिल-ए-मोहताज पर अटकती थी

पूछूं वजह हमसे बेइंतहा मोहब्बत की
तो वह चुपके से नजरें चुरा लेती थी

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22 JAN 2021 AT 11:13

अगर मैं
सबकी होती हूँ
स्वयं के सिवा...!!
:
:
तो ये...
मेरे द्वारा
मेरी आत्मा के साथ
विश्वासघात होगा ।।

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27 APR 2020 AT 16:38

Bhale woh badal gye hain,lekin hum nhai badlenge,
Kyunki mohabbat humare liye koi khel nhai,
Jo har roj kisi aur ke dil ke sath khelenge...

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30 MAY 2021 AT 12:32

तुम्हारा इश्क मेरी इबादत है
तुम्हारी चाहत की होने लगी
मुझे अब आदत है
यूं रूठने मनाने से तो प्यार बढ़ता है
क्या तुम्हें मनाने की मुझे इजाज़त है...

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