QUOTES ON #HINDIKAVITAAKP

#hindikavitaakp quotes

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13 JUL 2017 AT 5:35

मुक्ति का आभास हो
कुछ समय ही पास हो
वक़्त से परे धुंधला सा
आसमाँ दिखे जब
तब कलम उठता हूँ
स्वयं डूब जाता हूँ
शब्दों के सागर का
समर्पण लिख जाता हूँ

मद्यम जब रात हो
भारी जज्वात हो
कोई भी न साथ हो
नीद नयन छोड़ दे
ह्रदय हस्त जोड़ दे
एक अनन्त आनंद
में गोते लगता हूँ
शब्दों के सागर का
समर्पण लिख जाता हूँ

दूर कोई झील हो
गगन नील नील हो
आँखों में दिख रहा
स्वप्न मचल जाते हों
मचल के मै ख्वाबों को
डूब जाऊँ झील में
अनत उस गगन से
सीतरे तोड़ लाता हूँ
कागज में सजा मसि
समर्पण लिख जाता हूँ

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7 JUL 2017 AT 8:59

मेरी गली में चाँद आया है

इश्क़ का रोजा फिर टूटा है

आज इश्क़ की ईद हुई है

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12 JUL 2017 AT 8:15

प्रेम को बिहारी ,
नदंलाल, यार ग्वालन को ।
व्रज का बसइय्या सखी,
विहार कंहाँ करता है ।।

गोपियाँ कन्हाई कहे,
मैय्या कहे माखनचोर ।
कौन सा पुकारूँ नाम,
का कहे सुनता है ।।

जमुना को नीर कहे,
झुक के कदम की डाल ।
गोवर्धन विशाल कहे,
पुष्प कुंज व्रज के लाल ।।
मन के झुकाए,
और प्रेम के लगावे सो
चला आये धावत वो,
चितवन में रमता है ।।

गोपियन सी प्रीत भरो,
मन वृंदा गीत करो
प्रेम दधि लगाये हाँथ,
गले लग जाता है ।।

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11 JUL 2017 AT 22:43

कभी खिड़कियों से तकती थीं

अब खाली खिड़कियाँ ही तकती हैं

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10 JUL 2017 AT 9:19



जीन्स वीन्स के चक्कर में
सब धोती वोती भूल गए

खा रहे मजे से पिज़्ज़ा बर्गर
हम रोटी वोटी भूल गए

फ्लोर क्लीनर का जीवन है,
हम लीपा पोती भूल गए

स्नूकर, गोल्फ बस क्रिकेट बचे,
सब कंचे गोटी भूल गए

है समय बड़ा अद्भुत यारों ,
याद रहा बस पॉप वाप
अब कहाँ बचा मल्हार यार
सब राग रूहानी भूल गए

गूगल का यार जमाना है
बापू की जुवानी भूल गये

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7 JUL 2017 AT 8:16

क्या दीवानो की गली जाओगे ???

वक़्त है, सम्हल जाओ !!

अपना पता भूल जाओगे ।

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12 JUL 2017 AT 16:38

तिनका तिनका बीन बीन,
घोसला बनाती है
उलट पलट सेय सेय
दुनिया में लाती है
आँखे खुले तो पास
बंद हों तो आस पास
चूं चूं धुन लोरी से
प्यार से सुलाती है
एक एक दाना चुने ,
हाट बात घूम फिरे
बीन बीन मोतियन सम,
उड़ उड़ खिलाती है
बारिस में धुप में,
आँधियों से खूब में
हर विषम को तोड़ कर,
वो उड़ना सिखाती है
पंछी हो, मानुस हो,
माँ सभी में एक सी
एक वही प्रेम पुष्प ,
एक सी ममता का अर्पण
एक ही समर्पण दिखाती है

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11 JUL 2017 AT 10:12

निरखत हूँ नयनन से
श्यामल वो श्याम सखी
मन में आनंद घटा
उमड़ घुमड़ जाए है

प्रीतम सांवरिया
सलोनो वो कान्हा सखी
हिय में समाय
मोरा जिया भरमाये है

अब के बसन्त सखी
सुध बुध मै खो दूँगी
आनन में अंजन सा
श्याम सजा जाए है

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10 JUL 2017 AT 7:44

मन में उमड़ घुमड़, विरह घटा छाए है

पिछले बरस तुम आये थे सावन के साथ

अबके सावन प्रिये बस एकान्त लायो है

मादक, मदमाती घटा रह रह के छेड़ रही

पीड़ा से ह्रदय मेरा, सिरह सिरह जाए है

अब के बदरिया से नीर ,संग ज्वाल बरसे,

अब के सजन विरह ,जिया को जलाये है

मन में उमड़ घुमड़ , विरह घटा छाए है

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22 JUL 2017 AT 10:26

मै किसान हूँ

(Kavita in Caption👇)

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