बापू (पापा)मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
जीवन से मेरे इंसाफ़ कर देना ,कल अगर मैं मर जाऊँ।
नदी में बहते पत्ते की तरह,अपना सब पीछे छोड़ आयीं।
मन की व्यथा को किससे कहूँ,जो इस हृदय में है समायीं,
मेरे कर्मों का हिसाब कर देना,अगर मैं भूल जाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
मोती की माला में ख़ुद मैंने,सबकुछ पिरोया।
फिर ख़ुद ही इसे तोड़कर मैंने,अपना सब कुछ खोया।
बापू इसको तू जोड़ देना,अगर मैं ना जोड़ पाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
राहें जों थीं अनजानी ,क्यूँ मैंने उसपे चलने की ठानी,
स्वजनो सेहाथ छुड़ाकर ,बस करी मैंने मनमानी।
बापू मुझको राह दिखाना,जो मैं राह भूल जाऊँ,
बापू मुझको माफ़ कर देना,अगर घर तेरा छोड़ जाऊँ।
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