और बहुत सारे ख़्वाब सजाने के बाद,
उसने एक दिन कहा "ख़्वाबों को हक़ीक़त समझना आपकी सबसे बड़ी बेवकूफी है"— % &सज़ा यूं ही नहीं मिली थी,
रातों में तन्हा जागने की,
खता हुई थी हमसे,
उसके बातों पर ऐतबार जताने की !— % &जिन यादों को मैं संजोती रही
तुम उन्हें भूलते चले गए,
जिस रिश्ते को मैं ता-उम्र ज़िंदा रखना चाहती थी
पता नहीं कैसी मोहब्बत थी तुम्हारी,
जो तुम पल-पल उसे दफनाते चले गए!— % &
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