"प्यार" और 'दोस्ती' में फिर से तकरार हो गयी,
अपने अपने वजूद को लेके फिरसे लड़ाई हो गई,
" मैं दिलो की सौदागर" और 'मैं हर दर्दका मरहम'
"मुजे पाने को दौड़ते लोग", 'मेरे होने से पुरे होते लोग'
"मैं हूँ तो है वजूद तुम्हारा" , 'मेरे होने से होता आगाज़ तुम्हारा',
"मैं हर दिल में समाई " , 'मुझसे हर दिल की सगाई'
बहोत बहस के बाद एक बात उन दोनो को समझ आई,
की दोनों है अधूरे एकदूसरे के बिना तो काहे करते लड़ाई,
चल साथ रह कर फैलाते खुशियाँ, और गम पे करते फिर से चडाई।
Jns_Shah😘
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