अब तो मुझे खुद से ही नफ़रत होनी लगी है मेरे खुदा कुछ ऐसा रास्ता अदा कर जिस पर चल मैं तेरे पास आ सकूं तुने जो जिन्दगी मुझे तोफे में उधार दी है उसकी किश्तें भी ब्याज में लेकर अपनी सांसें भी तुझे लौटा सकूं।।
मैंने पिंड दान कर दिया अपने अरमानों का, मैंने मुखाग्नि दे दी अपने प्यार को अब प्यार मोहब्बत सब धूल समान लगते हैं साहेब शायद मेरा पुनर्जन्म हुआ है ऐसे जीवन मिला हो मरते को जैसे।।
Itni nafrat bhi paida mt kr apne liye.. Teri maut pr bhi na aa sku tujhe dekhne ke liye.. Ye mere liye bhi ashan nhi hoga Magar rok lungi akhon se behte ashu Sirf tere liye..