न जाने क्यूँ ? आज़ बड़े गुस्सा से थें वो, न जाने क्यूँ ? आज़ बड़े उदास से थे वो, न जाने क्यूँ ? आज़ बड़े हताश से थें वो, न जाने क्यूँ ? आज़ बड़े खामोश से थें वो। Aye khuda!!! उनकी जगह तू मुझे सता ले।।
प्रिय तुम्हारी महज कल्पना करने से मेरा हृदय आनंद से भर जाता है क्षणिक पलों में ही मेरा वह स्वप्न बिखर जाता है तुम्हारे प्रेम की मधुशाला से मेरा रोम-रोम मदहोश हो जाता है आओ बैठो क्षणभर मुझे अपनी गोद का एहसास होने दो मुझे तुम्हारी बाहों के आगोश में आ जाने दो इस असीम प्रेम को तुम अपने हृदय में वास करने दो मुझे अभी इस स्वप्न का और आनंद लेने दो मुझे नियति के निर्णय से कोई आपत्ति नहीं है यही वह भाग्य की रेखाएं हैं जो कभी बदलती नहीं है अब मुझे लौटना होगा संध्या गहराने लगी है छोर पर बैठा मेरा 'हताश मन' अब मुझे पुकारने लगा है अब मुझे पुकारने लगा है..... _ Sapna gautaM