लोग कहते है मैं माँ पे लिखती हूँ
पर कैसे कहूँ माँ मेरी जिंदगी है
उनका होना या न होना यह
मेरी जिंदगी है
अपनी खुशी को समेट कर लिखती हूँ
जब लिखती हूँ तो माँ के लिए लिखती हूँ
माँ को लिखना और बताना कम है
जितना लिखूँ उतना कम है
माँ तो माँ ही है
तभी तो भगवान ने माँ बनाई है।
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