अखियां तरस गई है,
तोहे देखन को...
राधा मोरी...
जैसे अरसा बीत गया हो,
तोसे मिलन को...
क्यूं होवे है नाराज,
अपने श्याम से...😔
मै तो पनघट पर बैठा हुआ हूं,
कल शाम से !!
जिरह नहीं,
ये विरह वेदना मोरी हैं !!
रोक ले मने कही से आकर...
जो चला गया ये श्याम...
राधा, ना आवेगा कभी लौट कर फिर !!
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