मेरी कोशिश है कि उनका नेक बेटा बन जाऊँ...
माँ की हिम्मत बनूँ, बाप का हौसला बन जाऊँ...
मेरा शौक है, किसी बेबस का हौसला बढ़ाना...
ज़रूरत पड़े तो काम भी आऊँ, कंधा बन जाऊँ...
मेरी ख़्वाहिश है, कि सब के दिलों पे राज़ करुँ...
कि लोग आएं जियारत को मैं मकबरा बन जाऊँ...
मेरा पेशा वही है, जो मेरी किस्मत में लिक्खा है...
तो ऐसे कैसे भला, किसी का आईना बन जाऊँ...
मेरी आदत सी पड़ गई है अब ग़म छुपाने की...
इस तरह मुस्कुराऊं की कोई लतीफा बन जाऊँ...
मेरा मकसद है, जाने के बाद मुझे सब याद करें...
जाऊँ तो, 'शाद' सबकी आँख का तारा बन जाऊँ...
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