कब आएगी खुशियां मेरे भी जीवन में,
ये सोच जिंदगी ऊपर आसमान में झांक रही ,
मानो जैसे ये जिंदगी कह रही हो ईश्वर से ,
हे ईश्वर ! भर दो अब मेरी भी झोली खुशियों से,
मैं भी थोड़ा मुस्कुराना चाह रही ,
जीवन के इस गम के बादल में,
अंधेरे से निकल बाहर,
पहनना चाहती हूं खुशियों का हार।
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