कितने भी सितम हो जिंदंगी में
एक तुझे देख के हम सब भूल जाते है,
जब सारा दिन तुझसे बात नहीं होती
फिर रात तो सज़ा बन जाती है,
अगर कोई कह दे जिंदंगी
तो हम तेरा नाम लेते हैं,
मुझे डर लगता हैं तेरे जिंदंगी
कि बस मैं कहानी ना बन जाऊ,
तेरा हिंसा होते हुए भी
मैं एक किस्सा ना बन जाऊ,
तुम खफ़ा होते हो
जान निकल जाती हैं हमारी,
सच बताऊ तुझे तुझसे
ज्यादा अपना मेरा कोई नहीं,
एक बार आने का वादा करो
हम उम्र भर तेरा इंतज़ार करेंगे,
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