Jo bharosa karte hai wo shak nhi karte Jo shak karte hai wo pyar bhi karte, Or Jo pyar karne se pahle bharosa karte hai Wo shak ki koi gunjaish nhi rakhte.
ज़ाहिर सी बात थी, वो एक ना पूरी होने वाली सी ख्वाहिश थी..... हमने तो फिर भी उन्हें अपना मान लिया था, पर उनकी भी तो एक फरमाइश थी, मिलने की होड़ ना कर के, बस यादों में बसने की गुजारिश थी, पर हम में कहाँ इस दर्द को सहने की गुंजाइश थी