महफ़िल में खड़े ये चंद लोग
जो मेरे क़िरदार पर सवाल उठाते है
इन सबको पता नही
एक बेवफ़ा की मेहरबानी है
ये मुरझाए होठ, बिखरे बाल, सूखी नज़रे,
बेपरवाह आदते, उदासी सबब
नही, हमारी शराब से दोस्ती नही
उस बेवफ़ा की मेहरबानी है
यूं ही नही ले रखा है फ़ैसला
वफ़ा की बर्बादी का
वफ़ा ए नूर इल्तेज़ा मुहब्बत
किसी बेवफ़ा की मेहरबानी है
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