रंग बिरंगे गुब्बारे लेकर सड़क किनारे खड़े है
इन प्यारे बच्चों के हाथ में चाँद सितारें पड़े है
कल ज़्यादा बिकी नहीं तो मायूसी अब भी है
आज नया दिन है तो उम्मीद और इरादे बड़े है
स्कूल की छुट्टी हुयी कुछ बच्चें नजर आने लगे
बच्चों को देखकर उदास चेहरे मुस्कुराने लगे
हाथों में गुब्बारे और आँखों में चमक लेकर
गुब्बारे ले लो कह कर ये आवाज़ लगाने लगे
हवाओं को क़ैद कर बेचते है ये सांस अपनी
पेट की ख़ातिर भूल जाते है ये ख़्वाब अपनी
पढ़ने खेलने की उम्र में ज़िम्मेदार बन जाते है
सड़कों पर गुज़ार देते है ये दिन रात अपनी
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