वो मंज़र आज भी नज़रों के आगे ठहर जाता है...
जब तूने मुझे अपनी ज़िन्दगी का एहम हिस्सा बनाया था....
जब अपनी नज़रों से मुझे प्यार करना सिखाया था....
वो पल आज भी याद है मुझे
जब तूने पहली दफा अपने हाथो से मेरे बालों को सहलाया था.....
हम दोनों की नज़दीकियों से जब
चाँद भी पहली दफा शरमाया था......
फिर,,,,
आज ये महोब्बत खामोश क्यू हो गयी...
क्या वक़्त के साथ हमारी महोब्बत की भी मौत हो गयी.......
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