कोई अल्लाह, कोई ईश्वर
कोई कुछ पुकारता है
इंसान भी न जाने मुझे
कौन- कौन से धर्म
में बाटता है...
चढ़ावे के नाम पर
करोड़ों लुटाता है,
पर किसी बे सहारे का
मददगार न बनता है|
दंगे फसाद सब कराता
है,
पर आपसी भाईचारा न
निभाता है|
कोई अल्लाह, कोई ईश्वर
कोई कुछ पुकारता है
इंसान भी न जाने मुझे
कौन-कौन से धर्म
में बाटता है...
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