। ईश्वर।
सूक्ष्म कण है वो,जिसका अनंत विस्तार
शून्य स्थान है वो,उससे ही सृष्टि निर्माण
शक्ति का प्रारूप है,सृजन का स्वरूप है
अदम्य है ,अगम्य है ,अनंत है
वो अटल विश्वास है,भक्ति का प्रतिरूप है
विध्वंस है,विनाश है,शक्ति का संचार है
ब्रह्माण्ड का रहस्य है,सत्य है,सार है
अंत में आरंभ है,सृजन है,संहार है
शब्दों से,परिभाषा से,अस्तित्व से अजर है
समर्पण है,प्रेम है,भक्ति ही ईश्वर है।।।
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