मुझे खुला आसमां दे दो, समुंदर का किनारा या कोई बस्ती दे दो, दो पल की ज़िंदगी में खुशियाँ बाट सकूँ ऐसा उत्साह मुझे दे दो, दुखी बेशहाय लोगों की मरहम मुझे दे दो, उन्हें खुश कर पाऊँ ऐसी कोई औज़ार हमें दे दो, मुझे खुला आसमां या समुंदर का किनारा दे दो..!!
हमें अकेला छोड़कर चले जाना, बेआराम आपको लग रही थी ज़िन्दगी हमारे साथ...! मुश्किल था नामुमकिन नहीं, जब ज़िन्दगी का आंनद लेना फिर से सिख ही रहे थे हम, तो आप फिर से हमारी ज़िन्दगी में किस हक़ से वापस आना चाहते हो..? कौन सी हक़ हम पर जताना चाहते हैं...?