Anshu Sahani 20 JUL 2018 AT 16:45 जाने कैसी गहराई थीं उनकी आंखों में हम गिरते रहे,कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे। - Ritesh Kumar 5 MAY 2020 AT 17:37 कुछ लोगो को लगता है मुझे उनकी चालाकियाँ समझ नही आती..!जी साहब बहुत खामोशी से देखता हूँ उन्हें अपनी नजरों से गिरते हुए..!! -