लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने पर उठ रहे सवाल,
लड़कियों को चरित्रहीन कहकर लोग मचा रहे बवाल ,
छोटे कपड़े में दिखते तन - अंग ये बतलाने वाले,
मैं पुछती हूं क्या साड़ी में अंग नहीं दिखते ?
लड़कियों को उनकी संस्कार याद दिलाने वाले,
कभी अपनी पोशाक की ओर नजर क्यों नहीं फिराते?
बात जब भी संस्कार की होती तो हर बार लड़कियों को ही क्यों टोकते?
19 वीं 18 वीं शताब्दी की सोच रखने वाले लड़कियों को चैन से जीने क्यों नहीं देते?
खुद धोती कुर्ता गमछा पायजामा पहनकर 24 घंटे क्यों नहीं रहते?
लड़कों को अपने पसंद की पोशाक पहनने की छूट क्यों दे रखी तुम सबने ?
नजर उनकी गंदी तो निगाहें झुका कर वो क्यों नहीं चलते?
साड़ी पहनने वाले को तुम संस्कारी कहते,
ध्यान से देखो तो सबसे ज्यादा अंग उसी में दिखते ।
Westen dress पहन ले लड़कियां तो उन्हें चार बात सुनाते ।
लड़कियों को उनके संस्कार सीखाने वाले , खुद के संस्कार को देख,
लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने से समस्या है तो अपने आंखों पर पर्दा डालकर रख,
बेवजह किसी पर comment ना पास कर,
पहले खुद बालों में jel लगाना बन्द कर,
धोती कुर्ता पहन, जूते की जगह खड़ाऊ पहन,
दाढ़ी मूंछ 19 वीं शताब्दी जैसा रख,
फिर लड़कियों को कुछ कहने का हक़ रख।
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