QUOTES ON #GHAR

#ghar quotes

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2 JAN 2020 AT 16:47

अजीब है बात मगर
कहना जरूरी है
आँखों में अपने हैं
मगर उन्हें भुलाना जरूरी है
जान से प्यारा है अपना घोंसला
मगर उसे छोड़कर उड़ना जरूरी है

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24 AUG 2020 AT 23:21

कई इमारतें बुलंद देखीं हमने,
लेकिन वो मुकाम इनमें कहां जन्में।
आपदा से बरबादी से कहीं ज्यादा,
इनमें दिल-ए-दूरियां मौजूदा।
रहते एक छत के नीचे है,
पर होते ये दिल से जुदा है।

जिनके घर बाढ़ में तबाह होते,
हौसले तो इन आशियानें में पलते।
यूं तो रोज़ाना,
हालात उन्हें चाहें दफनाना।
हर वक्त टूटते घर उनके,
पर इनमें अटूट इरादे है पलते।

परिवार महल, कोठी, बंगले से नहीं,
उनमें बसेरा करने वालों से बनती।
इस तालीम को कामिल करे,
बच्चों की सोच में इसे शामिल करे।






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19 SEP 2020 AT 12:07

"जिंदगी धीरे-धीरे तू गुजर"

ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।

रिश्तों की बुनियादें लेकर,
खुआबों को राहें देकर,
सपनों का शहर सजाना है,
मुझे मकान से घर बनाना है।

ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।

सूरज से उसकी किरण मांग लू,
नदिया से उसकी लहर मांग लू,
मुझे अपनों को और अपना बनाना है,
मुझे चाँद पे आशियाँ बनाना है।

ए जिंदगी जरा धीरे-धीरे तू गुजर,
मुझको भाने लगा है तेरा ये सफर।

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6 NOV 2018 AT 18:22

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला

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12 APR 2021 AT 8:42

Ishq ke alawa or bhi gum hai zamane me....
Hmse pucho jaan nikal jati hai Lauki ki sabji khane me.....🥴

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15 JUN 2021 AT 23:00

Someone : attitude 😎me ni balki logon ke dilon❤me rahna seekho ..
Me : abe chup mai mere ghar🏡 me hi acchi hun ....😉😉

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8 DEC 2020 AT 15:27

मुद्दत बीती सदियां बीती, आस लगाना भूल गए,
दुनिया में लुटे हम ऐसे के घर को जाना भूल गए,
घर का आंगन याद है आता, पापा का प्यार, मां का साया,
घर का ठिकाना भूलें हैं हम खुद को भी भूल गए।।

इलज़ाम लगें जो झूठे थें हम नज़र मिलाना भूल गए,
चाहा ऐसे हरजाई को के प्यार निभाना भूल गए,
चले गए बिन बोले कुछ हम, बाकी तो कुछ रह गया,
याद तुम्हारी आती है बस ये बतलाना भूल गए।।

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31 DEC 2018 AT 1:03

लोग हो जाते हैं
घर-परिवार से
अलग-अलग शहरों में रुकने के ठिकाने,
कोई पता, कोई मकान।
एक पीढ़ी
अपने ही घर
हो जाती है किसी गेस्ट-हाउस की चौकीदार,
और अगली पीढ़ी के शहर में मेहमान।
बेधड़क छूटते हँसी और आँसू के फव्वारे
बिखर कर हो जाते हैं
आते-जाते रहने के न्यौतों की
औपचारिक मुस्कान।

ये कैसा बाज़ार है
जिसे बसाने में गली-मोहल्ले-शहर से रिश्ते तक
किराये पर चढ़ रहे हैं,
हो रहे हैं दुकान।

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30 JUN 2021 AT 9:11

तेरे एहसासों का कारवां आती जाती सांसों के साथ सफर करता है,,

बेहतर है ये ख़ामोशी एक.......एक लफ़्ज़ तेरा दिल में घर करता है,,

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सपनों को पंख लगाऊंगी,
माँ एक दिन तेरा भी घर बनाऊंगी।

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