रास्ते पर चरमराते पेड़,
पैदल सड़कों पर चलते लोग
पत्ते से गिर शाख से लिपटकर कहीं
बारिश में खो जाने वाली ओस
हवाओं से लड़ते पंछी
पहाड़ों से गिरती नदियां
कुछ कहते हैं ये सब,
क्या तूने सुना है ?
"आगे बढ़ो के मंज़िल बहुत दूर है पर
हौसला ले कर साथ जो चलेगा तू
मंज़िलें भी रुक जाएँगी ऐ बशर
तुझे अपने साथ ले जाने को"
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