QUOTES ON #GEETIKA_KOUR

#geetika_kour quotes

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आँसू भी भारी होते हैं,
हर किसी से बाटें नहीं जातें,
बोझ इनका हर कोई उठा नहीं पाता,
हर कोई समझ भी कहाँ है पाता?

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दिल चुपचाप ही तो दिल से जुड़ गया था ।
चुपचाप ही सपने बुनने लग गया था
चुपचाप ही इन्तज़ार होता था
फिर चुपचाप ही मायूस भी हो गया था ।

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तारीख याद दिलाती है कि रास्ते अलग हो गए ।
सो हमने भी अहिस्ता से याद करा दी।।

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आँखो की मायूसी और लबों की मुस्कुराहट का संयोग
चुपचाप ही बता जाता है इक राज़ कि

कई बार मरना पड़ता है,
जिन्दगी जीने के लिये ।।

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परत,परत,परत कर कई परतें जमा हो गई,
उधेड़ रही हूँ,
कुछ बुनने के लिये ।

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खाबो मे होती है जिससे बात,
महसूस होते जिसके हालात,
क्यों वो हक़िक़त में पराया लगता है?
नहीं समझेगा ,ऐसा एहसास होता है ।

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बरसों बाद घर लौटी तो
घर बूढ़ा हो गया था,
आँगन सूना,
बगीचा खामोश था,
पेड़ मायूस थे,
चिड़ियों का कोलाहल,
बंदरों का उधम ,
जाने कहाँ गुम हो गया था!
जर्जर सी दीवारें अपना दुखड़ा रो रही थी,
मजबूर सी खड़ी मैं
आँखों में आँसू छुपाए,
नज़ारा ये देख रही थी
क्योंकि घर ये अब पराया हो गया था
मालिक इसका कोई और हो गया था।

घर मेरा अब बूढ़ा हो गया था
बचपन की यादें समेटे
कुछ बोझिल सा हो गया था।।

घर मेरा बूढ़ा हो गया था।
मालिक भले बदल गया
पर दिल तो उसका हममें ही अटका था
यादों का हमारी उसके पास खज़ाना था
कोना- कोना आवाज़ लगा रहा था
यहीं रुक जाने की गुज़ारिश सी कर रहा था।

घर मेरा बूढ़ा हो गया था..

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