वो महफ़िल में आएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
पन्ने किताब के गाएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
हसीं दास्तां सुनाएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
कभी नज़रें झुकाएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
गहरी शायरी सुनाएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
वाह वाही पे न जताएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
किताब इश्क़ की पढ़ जाएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
'आमीन' आपको बताएंगे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए,
कुछ रोज़, टूटा दिल बहलाएंगे,
चांद तारे तोड़ लाएंगे,
अंधेरे में,
बेवफ़ाई के महल बनाएंगे,
और फिर, वही कहानी दोहराएंगे,
अरे मोहतरमा!
लफ़्ज़ों पे हमारे,
ज़रा ग़ौर फरमाइए।
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