गाँव की वो सुबह को जिये...!!
देखे हुए ढिबरी और बुझे हुए दीये
चहचहाते हुए पक्षियों के बीच बैठ चाय पीये,
खेतो की असीम शांति में खोये हुए...!!
बहुत दिन हो गए,
वक़्त निकाल फिर से गॉव के इन लम्हो को पिरोऊगा,
धूल खा रही यादो को,
फिर उन सुबह की ओस की बूंदो से धोऊंगा,
बगिया में आम की चैन की नींद सोऊगा...!!
-©Saurabh Yadav...✍️
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