QUOTES ON #GAON

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13 JAN 2019 AT 16:26

गाँव का साहित्य

सोहर गूँजे घर में महीनों बीत चुके हैं ,
बच्चा अब अन्न ग्रहण करने की स्थिति में आ चुका है । अब सोलह संस्कारों में एक , अन्न-प्राशन के संस्कार का समय आ गया है ।

आज हम अन्न-प्राशन के लोक साहित्य पर चर्चा करेंगे ।
( अनुशीर्षक में पढ़ें )

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खाली खाली चीजों से हम
अपने खालीपन को भरते हैं

अनजान से चेहरे हजारों हैं
हम अब इस भीड़ से डरते हैं

बेईमानों के शहर में हम
बेवकूफ से दिखाई पड़ते हैं

कोई नहीं यहां किसी का
चल अपने गांव लौट चलते हैं

है नींद भी ओझल आंखों से
चल मां की गोद में सिर रखते हैं

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20 JUN 2019 AT 20:03

बंद दरवाज़े वाले शहरी क्या जाने क़द्र मेहमानों की,
गांव में आज भी लोग अपनी दहलीज़ खुली रखते हैं !!


بند دروازے والے شہری کیا قدر جانے مہمانوں کی..
گاؤں میں آج بھی لوگ اپنی دہلیز کھلی رکھتے ہیں !!

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13 AUG 2019 AT 16:19

लोग मां बेचकर मौसी ख़रीद रहे हैं,
पेड़ काटकर छांव ढूंढ रहे हैं।

जंगल उजाड़कर A/C ख़रीद रहे हैं,
प्रदूषण फैलाकर हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं।

दूध - लस्सी छोड़ कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं,
रोटी छोड़ पिज़्ज़ा खा रहे हैं।

आग लगा कर पानी ढूंढ रहे हैं,
गांव छोड़कर शहर बसा रहे हैं।।

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6 MAY 2021 AT 15:59

शहर के शहर बंद है
हर गली मे नाकाबन्दी है
लौट आये वो पंछी अपने घोसले मे
जिनको लगती थी गाव की गलिया गंदी है

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3 OCT 2021 AT 22:47

शायद !
खत्म हो गया एक-रोज जो बहुत कुछ पाने का गुरूर था,
गुम है एक चेहरा शहर में जो गाँव में बहुत मशहूर था !


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21 JUL 2020 AT 7:48

Wo gaon ki yaadein bhi kitni khubsurat hai...
Khwaabon me bhi aake rula deti hai..

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1 JAN 2022 AT 9:11

जनाब गांव में आज भी संस्कार बसते हैं
यहां New Year Wish करने से पहले बड़ों के पैर छूते हैं

Happy new year

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25 APR 2019 AT 10:38

गाँव की वो सुबह को जिये...!!

देखे हुए ढिबरी और बुझे हुए दीये 
चहचहाते हुए पक्षियों के बीच बैठ चाय पीये,
खेतो की असीम शांति में खोये हुए...!!

बहुत दिन हो गए,
वक़्त निकाल फिर से गॉव के इन लम्हो को पिरोऊगा, 
धूल खा रही यादो को,
फिर उन सुबह की ओस की बूंदो से धोऊंगा, 
बगिया में आम की चैन की नींद सोऊगा...!!
-©Saurabh Yadav...✍️

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11 SEP 2022 AT 11:39

अपनी छोटी बहन को पीठ में बिठा कर
उसके चप्पल को अपनें हाथों में उठा कर

कुछ पल की खुशियाँ खरीदने के लिए
दोनों चल पड़े चेहरे पर मुस्कान सजा कर

इसके पॉकेट से पैसे गिर ना जाये इस लिए
कुछ पैसे अपनी बहन के हाथों में छुपा कर

दुकान में बहन की पसंद के चॉकलेट लेकर
घर की तरफ़ चला, ये फिर से मुस्कुरा कर

माँ के हाथों में बचे हुए पैसे देकर कहता है
मैं शाम को आऊंगा,कुछ पैसे और कमा कर

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