कैलाश का वो राजा है,
जिसके हाथों में बजता डमरू बाजा है।
नीलकंठ सा रूप लिए वो,
जिसके मुख मंडल से निकलती आभा है।
योगी, ज्ञानी, तपस्वी, साधक जो भी बोलो,
वो तो भांग पीकर भी सीधा साधा है।
और जहां आस छोड़ दे देव सभी,
वहां आता '' महादेव '' मेरा भोले बाबा है।
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