क्या पता क्यों इस कदर खफा है मेरे यारा
कर दी मैंने अनजाने में अगर कोई ख़ता
मुझसे कहा होता एक बार भी मेरे यारा
ये फासले दोस्ती में लाना जरूरी था क्या?
क्या इतना ही था सिर्फ हमारा राब्ता ?
बताओ मेरे यारा मैं बहुत हूंँ अब परेशां...
राज बता कर अगर होती मूझसे ख़फा...
फिर मेरा दिल नहीं होता ना इतना परेशां
कहां गए वो दूर रहने पर भी पास होने के एहसास?
वो जज्बात शायद झूठे थे, जो हमें सच्चे लगते थे
कहां गये हमारी दोस्ती के वो ज़ज्बात और अंदाज़?
बताओ मेरे यारा, मैं बहुत हूंँ अब परेशां............
खूनी रिश्ते न होते हुए भी, एक रिश्ता होता है दोस्ती का
सिर्फ यक़ीन पर टीका होता है क्या हमारे बीच नहीं बचा?
अब यक़ीन का वो सफर, राह में ही बिछड़ गये इस कदर
यक़ीन था मुझे दोस्तों का साथ मिलेगा बेशक़ हर मोङ पर
बताओ मेरे यारा क्या है मेरी ख़ता,कब तक रहुं मैं युं तन्हा
-✍️Yasmeen Parveen
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