दोस्त !
बेमोल से कुछ रिश्ते होते हैं खास,
महकता है बचपन जिनके साथ।
नादानियाँ का वो उम्र ही सारा,
बसंत की कलियो सा होता है प्यारा।
शैतानों सा, वो जो कभी सताते,
तो जोकर बन, फिर खूब हँसाते।
होते हैं जो पलके नम कभी,
सहारा बन कर, वही तो हैं फिर से मुस्कुराना सिखाते ।
कुछ खट्टे, कुछ मीठे पलो से,
यादें कई जोड़ जाते हैं।
कच्चे उम्र के वो सब साथी,
बचपन बाँट ले जाते हैं।
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