♥️यू न देख इस कदर इधर-उधर ,तुझ पर टिकी हुई निग़ाह को तकलीफ़ होती है,,
♥️कहते हैं ,कि ,हसीन चहरे केवल खाबो में ही नजर आते है,,,
हाँ,फिर क्यों नहीं दिखती मेरी भी रात होती है,मेरी भी आंखे सोती है,,,,
♥️क्यों कहु उसे बेबफा,जब बेबफा सारा जमाना है,,,,,
बस यही सोच कर अक़्सर मेरे दिल को तकलीफ़ होती है,,
♥️कि, क्यों करता है हर पल याद उसे ,
क्या उसको भी कभी तेरी याद आती है,,,,,
♥️और क्यों समझाता हूँ उसे बार-बार ,,
क्या वो भी कभी तुमझे समझाती है,,,,
#♥️ #बस यही सोचकर अक्सर मेरे दिल को तकलीफ होती है,,,,,
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