तेरे ख्याल से भी , दिल मेरा बेहाल नहीं रहा
शायद अब कोई जिंदा तेरा कमाल नहीं रहा
तेरी यादों की , अब जान निकल गई है शायद
तेरे ग़म ए जख्मों मे भी, कोई उबाल नहीं रहा
जाना तूने तो अपनी मर्जी से, कभी हमसे वफा नहीं की
खैर ना उम्मीद-ए-वफा मे तुझसे हमे भी मलाल नहीं रहा
तुझसे वफा-ए-वादे , साल-हो-साल मुक्कमल रहते
मगर दिल अब तेरे सच पर भी तो पर्दा डाल नहीं रहा
जो कुछ भी था जाना, वो खाक हो गया पहले ही
अब तेरे किसी भरम का , बचा इंतकाल नहीं रहा
तेरी चाहत ने जिंदगी की हर चाहत मार दी मेरी
अब हालत है कि मुझको कोई सम्भाल नहीं रहा !
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