QUOTES ON #FOOTPATH

#footpath quotes

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14 MAY 2019 AT 19:57

कोई नर्म बिस्तर पर रात भर जागता...
तो कोई फुटपाथ पे भी चैन के खरार्टे लगाता है...
ये मेहनत और अच्छे कर्म हीं है साहब...
जो एक इंसान को इंसान बनाता है...

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25 JUL 2020 AT 18:11

इंसान जब बेसहारा, लाचार होता है तब
मैंने फुतपाथ को पनाहगार होते देखा है।

जब किसी भूखे की देखता है नम आँखें
तब मैंने इसे अंदर ही अंदर रोते देखा है।

मंदिर मस्जिद बाँट देते हैं इंसानियत को,
मैंने इसे इंसानियत को संजोते देखा है।

दुःख ,भूख लाचारी से परेशान हर कोना,
मैंने इसे दुनिया गरीबी की होते देखा है।

कल आएगाँ बदलाव,बदल जाएगाँ नज़ारा,
मैंने रोज़ रात इस उम्मीद में सोते देखा है।
©अंजलि

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21 DEC 2017 AT 0:13

Every Night When Her Children
Went Into Slumber
She Stayed Awake,
Watching Over Them
And The Monstrous Vehicles
Racing On The Road.
Sleeping On Footpath Had
Stitched A Constant Fear,
A Fear Of Losing Her Children,
In Her Motherly Heart.

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6 JAN 2020 AT 23:24

Aey Khuda Un Logo ka
Bhi Khayal Rakhna
Es Thand me Bhi Jiska
Sahara ye Footpath hai

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18 MAR 2021 AT 23:25

यूँ फूटपाथ में बैठा ना कर,
राहगीरों के धड़कने रुक जाती हैं

कौन सा अंदाज है ये तेरी मोहब्बत का
जरा हमको भी समझा दे
मरने से भी रोकती हैं
और जीने भी नहीं देती।

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2 JAN 2022 AT 16:27

फुटपाथ
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कितनी कड़ाके की है ये ठंड
लोग सारे है अपने घरों में बंद।
पर कुछ लोग सड़क किनारे
लेटे है फटे पुराने कम्बल ताने ।

देखो इनके बेबस जीवन
समस्या नहीं है ये साधारण ।
चलते है सब जिस सड़क पर
उसे बनाते ये अपना बिछावन।

दिन भर में जो पैसे कमाते
उतने में हीं जीवन चलाते

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1 JAN 2019 AT 12:43

ठंड की ठिठुरन का, मज़ा भी कुछ लगा, फ़िका सा...!
फुटपाथ पर, उन नन्ही आँखों को देखा जब, भीगा सा...!

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25 DEC 2021 AT 11:45

अपने घरों में होकर भी तुम ऐसे
थर - थर कांप रहे हो कंबल में,

सोचो फुटपाथों पर रहने वाला
इन सबके बिना कैसे सोता होगा।।

निहारता होगा आने जाने वाले को
और वो रोटी टटोलता होगा थैलों में,

सोचता होगा अपनी दीन दशा को
फिर बर्फ़ के आंसू वो रोता होगा।।


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9 APR 2018 AT 16:12

শূন্য পাত্রে ক্ষুধার শব্দ,কখনও বা হাহাকার মেশে;
জনসমুদ্র সামাল দিয়ে,তুমিই আবার ঝলসানো চাঁদের দোসর রাত-পাহারাদার;
তোমার বুকের পাঁজরে বাঁচে জিজীবিষা একরাশ;
ফুটপাথ,তুমি ছিলে,আছ,থাকবে'র রোজনামচায় এক অবিচ্ছেদ্য অধ্যায়...

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2 JAN 2020 AT 8:55

Wo jo footpath pe raat guzarta hai
Soch kya Jigar aur kya hausla rakhta hai
Use kaha naye saal ka jashn dikhta hai
Wo to chand ko bhi roti samajh kr nihaarta hai

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