मोहताज नहीं मेरा इश्क़ तेरे चेहरे के हाल का तेरी रूह में बस जाये ऐसी है आशिक़ी मेरी हाल-ए-दिल पल में बयां कर जाती है जानता नहीं तू मेरी मुखबिर है ये निगाहें तेरी !!
करवटें बदलते बदलते यूँ ही रात कट जाती है क्या तुझे भी मेरे ख्याल अक्सर सताते हैं? ना जाने क्या राज़ है तेरी इन आँखों की गहराई का! मेरे चाँद और सूरज इन में डूबने चले आते हैं लोरी गाती हैं तेरी यादें मेरे सिरहाने सितारों में हम तेरा चेहरा बनाते हैं ये ख़्वाब-ए-इश्क़ जो सोने नहीं देता मुझे क्या ये ख़्वाब तुझे भी सताते हैं?
शहर हमारा कुछ दिन से बेवजह बदनाम हो रहा है... गलतियाँ कुछ लोग कर रहे हैं और इल्ज़ाम पूरे शहर पे लग रहा है.. गली गली भर्ष्टाचार बढ़ रहा हैं और निलाम हमारा शहर हो रहा है.. बेईमानी इंसान कर रहा है और ईमान शहर का खो रहा है... बलात्कार कुछ हैवान कर रहे है और इज़्जत हमारे शहर की लूट रही है... सरहद पे फौजी दुश्मनों से लड़ रहा है.. और शहर में लोग आपस में झगड़ रहे हैं... सदनों में नेता बहस में उलझे हुए हैं... और शहर में लोगों के अरमान कुचले जा रहे हैं... उम्मीदें लोगों की टूट रही है और आस ये शहर छोड़ रहा है...