चाहत, ज़रुरत, जिम्मेदारी
ये तीनों ही हमें ख़ामोश रहना सीखा देती हैं
हम अपने ख़्वाब और ख्वाहिशें सब भुला देती हैं
अपनों की खुशियों के लिए..........
और यूं ही उम्र तमाम गुज़र जाती हैं.......
कुछ पल का साथ, अपनों का प्यार पाने के लिए.....
मगर कोई भी समझ नहीं पाता ......
हिस्से में सिर्फ़ और सिर्फ़ इंतज़ार और
तन्हाई आती हैं.......!!
🍁🥀🍁🤔😔
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