कुछ तबियत नासाज़ सी,कुछ दर्द-ए-बदन है,
कुछ साँसों मे दिक्कत,कुछ ठण्ड से सिहरन है,
पर यादें आपकी कुछ इससे अंजान है,
इतने दर्द में भी हमारे चेहेरे पर मुस्कान है,
भीगी सी पल्कें आपका पता पुछती हैं,
इन्तज़ार की रातें अपनी ख़ता पूछती हैं,
कुछ गले में ख़राश सी,जैसे कुछ फंसा हो,
पर फर्क़ नहीं पड़ता जब दिल में कोइ बसा हो,
काट रहें हैं रात,बस आपके इन्तज़ार में,
कुछ अलग ही स्वाद है, हमारे इस बुखार में...❤
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