तुम कलयुग के हो भगवन,
तुम्हें दुख जताकर क्या करना...
तुम भी मैले हो भगवन,
गंगाजल से नहाकर क्या करना....
सताऐ को सताते हो भगवन,
सच्ची अखिंयों को रुलाकर क्या करना...
दोषी को हंसाते हो भगवन,
तेरा गीत गाकर क्या करना...
तुम महलों के हो भगवन,
कुटिया में सेज सजाकर क्या करना...
-