ज़रा सी भीड़ बढ़ जाए,
तो मेरी कलाई में,
अपनी पकड़ मजबूत कर देता है !
संग चलूं जो कभी तो,
रख कर कांधे पर हाथ मुझे,
रोड साइड से सेफ साइड कर देता है !
औऱ भूले से नाम जो प्यारे का ले लो,
तो झुका के नजरे,
लब्जों से फ़रेब झट कर देता है !
जाए जो महफ़िल में कभी,
साथ मेरे,
तो नजरें मुझ पर ही जमाए रखता है !
औऱ ख़्याल तो यूँ रखता है,
कि मेरे लिए,
पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार रहता है !
औऱ भूले से नाम प्यार का ले लो,
तो झुका के नज़रे,
लब्जो से फ़रेब झट कर देता है !
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