QUOTES ON #FAMOUS

#famous quotes

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22 APR AT 23:56

Sleep is far away,
someone's dreams
are in my eyes
How can I sleep,
I am afraid of sleep
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3 APR AT 6:30

एक हसरत है, कि तुम्हें अपने पास बैठाएं और ढेरों बातें करें।
एक डर भी है, अब कहीं तुमसे सामना ना हो जाए।।

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2 APR AT 17:01

मैं तुम्हें अपने बगल से गुजरते देखना चाहता हूं।
हां ये सच है कि मैं अब तुमसे नज़रें फेरना चाहता हूं।।🙂

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18 MAR AT 11:13

कहने को है इतना है के एक उम्र कम पड़ जाये
पर अपने शेर सुनाने को भी यहाँ हैसियत चाहिये
भीड़ लगा के बैठा है जो, हर कोई उसकी बात है सुनता
कोई अकेला इस बाज़ार को कैसे अपना रचा सुनाये

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15 MAR AT 22:12

हमारे गांव में एक कहावत है -

जब शरीफ इंसान बिगड़ता है
तो शैतान भी डर की वजह से
अपनी आँखे बंद कर लेता है

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7 MAR AT 22:43

It’s much easier to get used to being famous
Then… to be ignored..

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22 FEB AT 23:33

शिकंजा कसने वालो को, तरीके से दफ्न करूंगा...
चाकू हथियार नहीं, पढ़ा लिखा हूं‌‌... सलीके से कत्ल करूंगा!!

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16 FEB AT 9:18

मौत मुझे
मशहूर चाहिए ।
तभी तो रोज़
खुद को
थोड़ा थोड़ा लिख रहे है।

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3 FEB AT 18:29

Kitna roye the mohabbat mai yaad rakhna..
Khud ki nazro mai kitni baar gire the yaad rakhna....
Yaad rakhna ki pyar karne ka sila the woh...
Un per mar mitne ki saza milli thi...
Woh aayege ek din rasta badlkar Milne ke liye...
Use kahna ye rasta galat hai aage se yaad rakhna..

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27 JAN AT 22:33

विधार्थी...

यदि विधार्थी सा संघर्ष हो तो बोलो तुम कहाँ तक टिक सकोगे ....
सर्दी हो या गर्मी हो उठ जाते है नियमित रूप से सबेरे वही किताबों के पुराने पन्ने खंगालने
कपकपाती सर्दी मे भागने लगते है अपने गुरुकुल की ओर
यदि विधार्थी सा संघर्ष हो तो बोलो तुम कहाँ तक टिक सकोगे ....
करता है सालों साल तपस्या एक नौकरी के खातिर
बताओ ऐसा धैर्येवान कहाँ होगा
माता छूटी पिता छूठा छूठ गया संसार उसका
बस गया एक नौकरी के खातिर किसी पराये शहर में
यदि विधार्थी सा संघर्ष हो तो बोलो तुम कहाँ तक टिक सकोगे ....
पहला निवाला जो उसने खाया, कहीं नमक ज्यादा तो कहीं मोटी रोटी याद आ गई माँ के हाथ के खाने की झलक पड़ा आँख से आँसू
यदि विधार्थी सा संघर्ष हो तो बोलो तुम कहाँ तक टिक सकोगे
माँ ने मनाई नही दिवाली दीप जलाये उसने खाली
क्योंकि अब उसका बेटा आता नही शहर से गाँव
फस गया शहर की बेरंग हवाओं में अब उसे अपने शहर के रंग नही दिखते
यदि विधार्थी सा संघर्ष होता तो बोलो तुम कहाँ तक टिक सकोगे ....

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