QUOTES ON #FALAK

#falak quotes

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22 FEB 2019 AT 8:06

देखो यारों सुप्रभात हो गई ...
ढल गया फलक का "चांँद"...
सुबह के देखो 8:00 बज गए...
पर अब तक सोया है मेरा "चांँद"...

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15 SEP 2019 AT 0:15

एक ये झांकता आसमां के दरीचों से,
और चांद मेरा नाराज है कुछ मेरी ही बातों से।

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20 JUL 2020 AT 21:52

Dil hai mera yaa falak hai koi..
Hain abr is par bhi to chaaye rehte...
Ashk khul kar bas kabhi baraste nhi hain..
Zakhm-e-jigar hum bhi hain chupaye rehte..

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13 SEP 2019 AT 23:38

फ़लक तक जाती है आवाज़ मेरी,
न जाने क्यू एक तू ही है अनजान।

my voice goes to the sky,
I don't know why you are unaware..

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17 APR 2020 AT 11:37

आरजू ना थी इस दिल कि फलक तक जाने की दूसरों की महबूब देख , सितारों को छोड़ पूर्णिमा की चांद से दिल बैठा ,
लेकिन कमबख्त तुम्हारी सीधी नज़र ने तो कोई बात न की ,
लेकिन ये सादगी भरी आदों पर नज़रों को तिरछी कर अब क्या कहे छोड़ो...!!!

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25 JUN 2021 AT 10:11

Zara mehsus karo,,
Zami se falak..
Kitni masum hai,,
Dharti ki Ek jhalak...
Sakun behta Dariya behta,,
Jese behata Hawao me khushi ki khanak...

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24 MAY 2020 AT 20:51

गुरूर है आसमां को, के उसके पास तारे बहुत है,
लेकिन जब चाँद ना हो किसी रात आसमां में तो अंधेरा भी बहुत होता है ।

©im_happy :)

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15 JAN 2019 AT 21:44

रहबरों की भीड़ में अब दिलबर तलाश कर
बंगला तो बन गया है, तू घर तलाश कर

अपने ही आईने में हो, गैरों का अक्स तो
गैरों के आईने में तू खुद को तलाश कर

कब तक रहेगा तू यूँ पतंगों को ताकता
खुदके लिए फ़लक का टुकड़ा तलाश कर

दरिया के मुहाने पे जो, रह कर है तू प्यासा
घर लौट जा मिट्टी का तू मटका तलाश कर

क्यूँ आँसू बहा रहा है यूँ दौलत के ढेर पर
तू मुफलिसी का फिर वही सुकूँ तलाश कर

अपनों की साज़िशों से कब तक लड़ेगा तू
छोड़ उनके गिरेबाँ, निगहबान तलाश कर

दुनियाँ की भीड़ में तन्हा है 'खुर्द' क्यूँ
तन्हाइयों में चल नई दुनियाँ तलाश कर

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21 APR 2017 AT 8:15

काश चमकते चाँद तारे नहीं, रोटी होती फलक में,
कोई आशिक़ तोड़ लाता, कुछ तो जाता हलक में !!

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1 FEB 2018 AT 21:19

रात होते ही फलक पे सितारे जगमगाते हैं
वो चुपके से दबे पांव मुझसे मिलने आते हैं

याद रहे बस नाम उनका भूल के जमाने को
वो चुनरी को इस तरह मेरे चेहरे पे गिराते हैं

सौ गम और हज़ार ज़ख़्म हो चाहे दुनिया के
हर दर्द भूल जाये कुछ इस तरह गुदगुदाते हैं

डूब जाये ये कायनात तो हम नाचीज़ क्या हैं
इतनी मोहब्बत वो दामन में भर के लाते हैं

तिश्नगी कम ना होने पाये चाहत की मुझमे
प्यास बढाकर मेरी फिर वो मय बन जाते हैं

सख़्त हिदायत है हमे खुद पे काबू रखने की
रोक के हमको मगर वो खुद ही बहक जाते हैं

बयां करने को दास्तान-ए-इश्क़ लफ्ज़ ना मिलें
वो यूँ हक़ मुझपे जताते हैं कि 'मौन' कर जाते हैं

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